ಸಾಹಿತ್ಯ ಲೋಕದಲ್ಲಿ ಅಂಬೆಗಾಲು
नहीं होंगे तो नकारात्मक भाव का निकास,
कैसे होगा जीवन में बढ़िया विकास...!?
शुद्ध करो श्वास और ले लो पूरा सकारात्मक सास,
रब में रखो संपूर्ण विश्वास तो ज़रूर होगा जीवन विकास.
----चिन्मयी
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